Thursday 12 February 2009

यकीन नहीं होता

यकीन नहीं होता...
पढने के साथ आप इस विडियो को क्लिक कर के सुन भी सकते हैं...


रात में आकाश को देखकर
उन तारों को चूने का सोचता था
मगर आज वो सब तारे ही मेरे हैं
यकीन नहीं होता...

बारिश में बूंदों को हाथों में समेटना
मुझे बहुत पसंद था
मगर अब वो हर बूँद ही मेरी है
यकीन नहीं होता...

औरों की तरह
किसी खुशबू की तलाश में मैं भी था
मगर अब वो इत्र की शीशी ही मेरी है
यकीन नहीं होता...

सच मैं इतना अमीर हो गया हूँ
या बात कुछ और है?
राजाओं का राजा बन चुका हूँ
यकीन नहीं होता...

फिर सोचने लगा...
जेब तो अभी भी उतनी ही थी मेरी
मगर जब अपने साथ देखा
तो पाया की चाँद भी मेरा है
अब तो यकीन को भी
यकीन नहीं होता...

थोडा मुस्कुराने लगा...
परियों के बारे में अक्सर सिर्फ सुनता था
मगर अब परियों की रानी ही मेरी है
सच में, अभी भी यकीन नहीं होता!
आपके कमेंट्स का शुकर गुजार हूँ...

8 comments:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

    एक निवेदन: कृप्या वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें तो टिप्पणी देने में सहूलियत होगी.

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  2. बहुत ही सुंदर भाव. स्वागत.

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  3. अच्छी रचना है. लिखते रहिए।

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  4. हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे। बढि़यां लिखे। हजारों शुभकामनांए।

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  5. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

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  6. परियों के बारे में अक्सर सिर्फ सुनता था
    मगर अब परियों की रानी ही मेरी है
    सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई स्वागत
    श्यामसखा ‘श्याम’
    मेरे चिठ्ठे पर आयें http://gazal k bahane.blogspot.com

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  7. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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