Sunday 1 February 2009

वोह हसीं फूल

यह अनजाने में लिखी गई कविता है पर न जाने क्यों मेरे दिल को छु गई है...!
प्यार सच में ऐसा तोहफा होता है की आपको सब अच्छा लगने लगता है, कोई शिकायत नहीं रहती और फ़िर अगर बदकिस्मती से आपका प्यार आपसे बिछड़ जाए तो एक बार फ़िर हर चीज़ से शिकायत होने लगती है... यहाँ तक की ज़िन्दगी से भी...
अगर इस कविता को आगे पढने ही लगे हो तो, सिर्फ़ दिल से पढ़ना... आपके दिल को चीरने तक की क्षमता रखती है यह 'रूबल तुली' की देन - वो हसीं फूल!

वो हसीं फूल

सोच रहा था अपनी किसी सोच के बारे में
पता नहीं कहाँ से मेरा चेहरा चमकने लगा
बस छोटा सा पौधा हूँ इस गलियारे में
जाने क्यों अपनी ही मुस्कराहट महसूस करने लगा

एक बार फ़िर देखा मैंने इस गलियारे को
मुझ जैसे और भी कई पौधे थे
कई सूखे कईयों के मुंह औधे थे
सब को बागबान से शिकायत थी
शायद कुछ चाहते थे

पर हमारी हर शिकायत तो तब से ख़तम हो चुकी थी
जब से आ गया था गलियारे में...
वो हसीं फूल!

बस यही फरक था उनमें और हम्मे
हम अब जिसको चाहते थे
वहीं था वो चहकता तोहफा हमारा
वहीँ था वो...
वो हसीं फूल!!

छु तो नहीं सकते थे उसको
बस उसकी मौजूदगी ही हवा का चलना था...
उसकी ताजगी ही हमपर पानी का छिडकाव था...
हाय! वोह हसीं फूल!!

वो सूरज के आने पर खिलता था
पर न जाने हम कब उसे ही अपना सूरज मान बैठे
वो बागबान को दिल सा कीमती था
पर न जाने दिल-सी चाहत, मुझ पौधे को कहा से हो गई?
ऐसा कमाल का था...
वो हसीं फूल

चाहत कुछ ख़ास बड़ी तो नहीं थी
चाहत कुछ ख़ास मुश्किल भी नहीं थी
बस उसे हमेशा अपने करीब ही चाहते थे
छु न सही पर हर पल आखों के करीब रखना चाहते थे
जान बन चुका था हमारी...
वो हसीं फूल

जब सुबह-सुबह पानी के मोती उस पर से बरसते थे
उसकी कोमल काया को छूने को हम तरसते थे
उसका खिलना मुझ पौधे को भी खिला देता था
सोचते थे छूना ही तो प्यार नहीं होता
पर हमेशा करीब होने का एहसास प्यार ज़रूर होता है
हमे प्यार था उससे...
और हसीं लगने लगा...
वोह हसीं फूल

फ़िर एक दिन सूरज फ़िर चमकने को था
हम खिलने को तैयार बैठे थे
पर देखा तो मालकिन वहाँ बालों में कुछ सजाये बैठी थी
बालो में वो सिंगार कुछ और नहीं था
था वही...
वो हसीं फूल...

सिर्फ़ पौधे हैं, अफ़सोस नहीं
बागबान ने पानी न दिया, कभी इतना सोचा नही
हमे हवा से दूर कोने में बीजा, कोई शिकायत नहीं
सोचते थे वो तो खिल रहा है न
वो तो मुस्कुरा रहा है न...
वो हसीं फूल...

मगर अब वोह भी मुझसे दूर जा चुका है
अब शायद हमें बागबान से शिकायत है...

1 comment:

  1. Marvellous,wonderful,lyrical,unique,meaningful, superb imagination,rhythmical,really appreciable-----
    from ;Suman Dutt

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